आज की, मरी सी, धूप की तरह, कुछ मोहब्बत भी हो चली है उसकी,
कितना भी गुहार का अलाव जलाऊं, वो इश्क़ की गर्माहट नहीं आती..
A blog by Dr. Anuj Kumar
आज की, मरी सी, धूप की तरह, कुछ मोहब्बत भी हो चली है उसकी,
कितना भी गुहार का अलाव जलाऊं, वो इश्क़ की गर्माहट नहीं आती..